आँखें

दोस्तों कर रहा हूँ नीलाम यह आँखें
ख़रीदो क्या?

इन आँखों ने देखी हैं
कई सदियाँ और सदियों से जुडी कहानियाँ

इन आँखों ने देखी है
अलिफ़ और लैला की जवानियाँ
कई विक्रम और बैताल की सीख देती कहानियाँ.

इन आँखों ने देखी है
गुलज़ार के नगमो से सजी
मोगली और माँ की गोदी में छुपे गोपाल की नटखट शैतानियाँ

इन आँखों ने देखी है
बॉर्डर पे खड़े सिपाही भाइयों
की देश पे न्योछावर जवानियाँ

इन आँखों ने और भी
बहुत कुछ देखा है
और जो नहीं देखा
देख लेंगी तुम्हारे साथ.

One thought on “आँखें

  1. Shaandar likha h..bhaiya
    lnn aakho k baare me

    Ye aankhe..Bahut kuch dikha deti…h
    Jivan ko Alag Alag rang se bhar deti h..
    Ye aakhe…yuhi
    kahani gadh deti h…

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